Saturday, October 6, 2007

बीएसएनएल की मेहरबानी के चलते...

- अभिषेक
सबसे पहले तो मैं आपसे इतने दिनों तक कोई सम्पर्क नहीं रख पाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। पर यह काफी कोशिशों के बाद अब जब यह सम्पर्क हो रहा है तो मैं इस पुनः सम्पर्क स्थापना के लिए बीएसएनएल के कर्मठ सरकारी कमर्चारियों का तहेदिल से शुक्रगुजार हूं।
दरअसल यह् हम भारतीयों का सौभाग्य है कि है हम लोगों को आपस में जोड़े रखने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड के कर्मठ कार्यकर्ता हर दम तैयार और तत्पर रहते हैं। बस उन्हें प्राइवेटाइजेशन के इस दौर में प्रोफेशनली काम करना आ जाए। फिर देखिए वे कैसे आपकी सेवा करते हैं। अब मेरा मामला ही लीजिए, चलते चलते फोन मृत हो गया, डेड हो गया। मेरे घर के आस पास सौभाग्या या दुर्भाग्य से कोई अन्य बीएसएनएल फोन नहीं है, मेरे पास जो चल कोशिकिय फोन है वो भी वायु संचार यानी एयरटेल का है। और मेरे ऑफिस में सारे फोन इन्द्रधनुष के हैं। अब फोन के डेड होने की कम्पलेंट कैसे हो। किसी ने बताया कि अपने फोन की पहली तीन डीजिट के बाद दो लगा कर 198 पर कम्पलेंट दर्ज करवा दो। कोशिश की,कम्पयूटर पर पहले से दर्ज एक मोहतरमा बोलीं, हिन्दी के लिए दो,अंग्रेजी के लिए एक दबाओ, बीप के बाद खराब टेलिफोन का नम्बर दबाओ, और अन्त में बोलीं की यह नम्बर इस एक्सचेंज का नहीं है। धन्यवाद। तीन दिन तक बीएसएनएल के कई दफ्तरों में कई तरह कोशिश कर ली। कम्पलेंट दर्ज नहीं तो कार्रवाई नहीं। सोचा चलो उपोभोक्ता केन्द्र में जाकर कम्पलेंट दर्ज करवा दें। ऑफिस के सामने एक बड़े वाले उपभोक्ता केन्द्र में भी पहुंचे। वहां जो सज्जन मिले , प्लान चेंज हो सकता है,नया कनेक्शन मिल सकता है,लेकिन शिकायत के लिए आपको वहीं 198 का तरीका ही अपनाना पड़ेगा। वाह क्या उपभोक्ता सेवा है....। कई दिन तक बीएसएनएल के कई दफ्तरों में फोन की कम्पलेंट दर्ज करवाने की कोशिश की पर नहीं हुई। इस दौरान लाइनमैन महोदय, बीएसएनएल स्विच रूम, कन्ट्रोल रूम,विशेष इन्क्वायरी सेवा, और दूसरे इलाके के एसडीई साहब जाने कितने लोगों से गुहार लगाई गई। पर कुछ नहीं हुआ। अन्ततः आज अपने इलाके के एसडीई साहब से बात की अपने पत्रकारना लहजे में उन्हें फोन के खराब होने की सूचना भर दी औऱ शाम होने तक लाइनमैन हमारे दरवाजे पर था। फोन जीवित हो गया है, और हम फिर से आपके सम्पकर् में आ गये हैं। .. आशा है बीएसएनएल कुछ करेगा.....

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