Saturday, October 27, 2007

सवाल लड़के और लक्ष्मी का....

लड़का और लड़की अब भी हमारे लिए भेदभाव की बात है. हमने कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन लड़के और लड़की का भेद अब भी हमारे समाज में कितनी गहराई तक घुसा हुआ है इसका मुजाहिरा मेरी बेटी के जन्म के साथ। बेटी के जन्म हुआ सरकारी अस्पताल में,इसी सरकारी अस्पताल में मेरे बेटे का भी जन्म हुआ था। पत्नी का प्रसव करवाने में सहायता देने वाला नर्सिंग स्टाफ सारा का सारा लगभग दोनों समय एक सा ही था। बेटे जन्म के समय अन्दर से ही चिल्ला कर बताने वाली आवाज बेटी के जन्म के समय कई बार पूछने के बाद बहुत धीरे से निकली, लक्ष्मी आई है। जब हमने बिटिया के जन्म की बधाई (बक्शीश) दी तो इतने खुश जैसे उन्हें इतने की उम्मीद ही नहीं हो। इसके बाद जब परिजनों, परिचितों को सूचना मिलने पर उनके बधाई संदेश मिले तो सबमें एक बात कॉमन थी, बधाई हो लक्ष्मी आई है....। हमने तो अभी बिटिया का नाम ही नहीं रखा था और सब उसे लक्ष्मी पुकार रहे थे। सब का तात्पर्य समृद्धि की देवी लक्ष्मी से था, यह हम समझ रहे थे,हमें याद नहीं आ रहा था कि जब हमारे यहां बेटे का जन्म हुआ था तब किसी ने विष्णु,शिव,राम, हनुमान या गणेश के आगमन का संदेश देते हुए हमें बधाई दी हो,पर कन्या जन्म के समय सब का एक ही स्वर था,लक्ष्मी आई है। एक बात और खास थी कि बड़े पत्रकारों, लेखकों सहित मेरे गांव के मित्र के ठेठ देहाती पापा तक सभी की एक ही बोली थी। कुछ लोग थोड़े साहसी भी थे, पूछ बैठते, पहला तो बेटा है ना, मेरे हां कहने पर कहते, चलो अच्छा हुआ फैमिली कम्पलीट हो गई। अब आप ही अन्दाजा लगाइए और सोचिए की हम लड़के और लड़की का भेद मिटाने में कितना कामयाब हुए हैं या हमारी सोच अभी भी कहां अटकी है।
- अभिषेक

2 comments:

राजीव जैन said...

वैसे आपको बधाई हो

देरी से पता चला

लेकिन बधाई तो दी ही जा सकती है न

abhishek said...

dhanyawad , rajiv ji,