Monday, July 18, 2011

कुछ बातें

वो कहते हैं उनकी अदाओं के दीवाने हजार हैं,
पर उन हजारों में हम सा तो कोई दूसरा कहां हैं,
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डर लगता है तिरी जुल्फों में खो न जाऊं
पर वो घनी छांव फिर कहां से पाऊं
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बरसों बाद मिलना और मिलकर भी नजरअंदाज करना
तेरी इस फितरत से तो मुश्किल है अब इश्क का जिंदा रहना
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तमाम कोशिशों के बाद मैं उसको मना न पाया
कुछ खोट है इन चाहतों में जो हो रहा है इश्क का नाम जाया
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जिन्दगी की राहों में हर एक को मंजिल की तलाश है
इसी भागमभाग में हर एक कि जिन्दगी उदास है
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जब भी छाती हैं यें घटाएं, बदलियों सी बरसती हैं तेरी यादें,
जिन्दगी की घटाटोप के बीच बिजलियों सी चमकती हैं तेरी बातें
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जब भी जिक्र होता है मन की गहराईयों में तेरा
आईने में अक्स नजर आ जाता है आज मेरा
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अब हम जमाने को क्या कहें क्यू आती है तिरी याद
बुझा न सके हम राख के अंगार को लाख कोशिश के बाद