Wednesday, May 30, 2018

Messi is back रंग में लौटते मेसी, वर्ल्ड कप का इंतजार हुआ दुगना...


फुटबॉल का नशा छाए तो आज के दौर में एक ही खिलाड़ी है जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। और वह है लियोनल मेसी। चौदह जून से प्रारम्भ हो रहे फीफा विश्व कप से पहले मेसी का फार्म में लौटना जहां अर्जेंटीना के लिए एक बढ़िया खबर है वहीं यह मेरे जैसे फुटबाल प्रेमियों को वर्ल्ड कप के दीदार के लिए दुगुना बेकरार कर रहा है।
मेसी ने विश्व कप वार्मअप मैच में हैती के खिलाफ ब्यूनस आयर्न्स में अपनी टीम अर्जेंटीना की ओर से हैट ट्रिक दागी है।  क्लब और कंट्री फुटबाल में लियोनल मैसी इसी के साथ 47 हैट ट्रिक लगाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। मेसी ने अपने क्लब बार्सिलोना के लिए 41 और अर्जेंटीना के लिए 6 बार हैट ट्रिक लगाई है।
अर्जेंटीना के लिए 10 नम्बर की जर्सी पहन कर मैदान में उतरने वाले मैसी का जादू फुटबाल प्रेमियों के सिर चढ़ कर बोलता है। डियागो मैराडोना को खेलते देखने वाले जब मेसी को खेलते देखते हैं तो उन्हें यह पूरा विश्वास हो जाता है कि मेसी ही मैराडोना की 10 नम्बर की जर्सी पहनने के हकदार हैं। शनिवार  16 जून को विश्वकप के अपने पहले मैच में जब अर्जेंटीना आइसलैंड के साथ मुकाबला करेगा तो पिछले वर्ल्ड कप यानी 2014 में जर्मनी के हाथों एक्स्ट्रा टाइम में मिली एक गोल की मात को भुला कर विश्व कप जीतने के सपने को साकार करने उतरेगा। उस मैच के दौरान मैसी को एक्स्ट्रा टाइम में फ्री किक का मौका भी मिला था जिसे गोल में बदल कर वे अर्जेंटीना को मैच में वापिस भी ला सकते थे। लेकिन वह अवसर को भुना नहीं पाए थे और गेंद को क्रोसबार के ऊपर हिट कर बैठे थे। इस मैच को अब चार साल गुजर गए हैं और अर्जेंटीना एक बार फिर विश्वकप जीतने की मुहीम में जुट गया है।
ऐसे में बुधवार को मैसी की हैटट्रिक ने एक नई उम्मीद जगाई है।

What is happiness, खुशी क्या है?


हम अक्सर खुद से यह सवाल पूछते हैं और खुद से ही यह वादा भी करते हैं कि चाहे कुछ हो जाए मैं हर कीमत पर खुश रहूंगा। लेकिन अक्सर होता इसका उलट ही है। हम कितना भी प्रयास कर लें, कहीं न कहीं खुद को उदासी के भंवर में घिरा पाते हैं। आखिर इसकी वजह क्या है? दरअसल शायद हम खुशी को खुद से बाहर कहीं तलाश कर रहे होते हैं। किसी अच्छे दोस्त में, किसी बहुत खूबसूरत रोमांटिक रिश्ते में, किसी बहुत नजदीकी पारिवारिक सदस्य में। हमें उनके साथ बने रहना, उनका साथ बात करना, उनके साथ वक्त गुजारना, या उनके ख्यालों में ही खोए रहना खुशी देता है। पर यह याद रखना हम भूल जाते हैं जितना ज्यादा हम दूसरों से जुड़ने की कोशिश करते हैं, उतना ही ज्यादा यह जुड़ाव एक कीमत मांगने लगता है। यह कीमत भौतिक रूप में नहीं होती। यह कीमत होती है हमारे स्वयं अपने भावनात्मक अहसास के रूप में। जिस जुड़ाव को हम अपने लिए खुशी मानते हैं कई बार वही जुड़ाव हमारे लिए कुंठा, तनाव का कारण बन जाता है।
आपको भले ही यह बात थोड़ी आश्चर्यजनक लगे लेकिन यह है सत्य। आप किसी के साथ बहुत अच्छे दोस्त हो सकते हैं, लेकिन अचानक वे आप पर किसी बात गुस्सा हो जाएं और आपको उतनी तवज्जो नहीं दें जितनी देते थे, तो आपका मन कहीं ज्यादा खट्टा हो सकता है। आप उनसे खुश नहीं होते हैं। और फिर शायद वे भी आपसे खुश नहीं हों। और फिर जिन दोस्तों से आपको खुशी मिलती थी वही आपके लिए दुख का कारण बन जाते हैं।
तो क्या हम अन्य लोगों से दूर हो जाएं? क्या उन्हें अपनी प्रसन्नता का कारण बनने ही न दें? क्या हम उनके साथ को भाव शून्य बना दें?
नहीं। यह सब कभी संभव नहीं है,क्योंकि ऐसा कभी संभव नहीं है। बस हम वो करें जो हम कर सकते हैं। और वह है दूसरों के बारे में अच्छा सोचना। अक्सर दूसरों के ऐसे कृत्य जो हमें नुकसान पहुंचाते हैं, के बारे सोचते समय व्यक्ति उक्त कार्य को करने वाले व्यक्ति के बारे में गलत धारणा बना लेता है, और मानने लगता है कि यह कार्य उसने इरादतन किया है। तो ऐसे में खुश रहने के लिए पहला कार्य तो यह करना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति के द्वारा किए गए कार्य से उस व्यक्ति को अलग कर लें।

गैर- इरादतन अवधारणा- यानी कि किसी भी व्यक्ति ने जो भी कार्य किया है वह उसने आपके प्रति दुर्भावना से प्रेरित हो कर नहीं किया है। इसे और समझने के लिए यदि हम उसकी जगह खुद को रख कर देखें तो समझेंगे कि संभवतया वह कार्य उसने अपने कर्तव्य को पूरा करने या बिना ज्यादा आगा पीछा सोचे ऐसे ही कर दिया है। पर होता क्या है कि हम उस कार्य के लिए उसे जिम्मेदार मानते हुए यह सोचने लगते हैं कि यह उसने मुझे नुकसान पहुंचाने के लिए, नीचा दिखाने के लिए किया है। और नतीजतन उस व्यक्ति का सामान्य से सामान्य कार्य भी हमें हमारे खिलाफ किया हुआ लगता है। और फिर बिना ज्यादा सोचे समझे हम उक्त व्यक्ति से नफरत करने लग जाते हैं। बस अब से इतना याद रखें कि हर कार्य के पीछे कोई इरादा नहीं होता। अक्सर अधिकांश कार्य गैर इरादतन होते हैं। उन्हें भी आप उसी प्रकार से लें।
जैसे ही आप दूसरों को उनके कृत्यों के लिए दोषी मानना बंद कर देंगे, आप पाएंगे कि जो होना था वह इसलिए हो रहा है क्योंकि समय स्थिर नहीं है और घटनाएं निरन्तर परिवर्तनशील हैं। इसके लिए कोई दोषी नहीं है। बस इतना होने पर ही हमारे मन की कड़वाहट कम हो जाएगी। जिन दोस्तों, संबंधों, रिश्तों में खुशी पाते थे। वे यदि आपसे दूर हो जाएंगे तो भी आपको उनके दूर होने का गम नहीं होगा। आप खुद को उदासी से बचा ले जाएंगे और आप वाकई खुश हो पाएंगे। यदि आप अपने मन को प्रसन्न करने वाले कार्यों को कर पाएंगे तो वही खुशी है। एक पंक्ति में कहें तो खुद को नकारात्मकता से दूर रखना ही खुशी है।