Thursday, February 26, 2009

बिस्तर पर सुख की नींद का फार्मुला

चचा हंगामी लाल कुछ उदास लग रहे थे। मैंने कहा चचा क्या हुआ आज मुंह क्यों लटका है। ये रोनी सी सूरत क्यों बना रखी है। अरे क्या मुंह लटकाएं अब इस आजाद देश में चैन की नींद सोना भी गुनाह हो गया है। कोई सुख से चैन की नींद सोने की जुगत करे तो उसे जेल पहुंचाने की तैयारियां होनी शुरू हो जाती हैं। चाचा की बात सुनते ही हमारी खोपड़ी घूम गई, सिर भन्ना गया। अरे ऐसा कैसे कह रहे हो। ऐसा भी कहीं होता है। क्या हो गया। चचा बोले अब देखो भाई सुखीराम ने चैन की नींद सोने का ही जुगाड़ तो किया था। सब मिल कर पीछे पड़ गए। मुझे एक बात बताओ, तुम भी तो सोने के लिए डनलप का गद्दा इस्तेमाल करते हो। करते हो न। अब यदि सुखीराम ने सोने के लिए नोटबेड का इस्तेमाल कर लिया तो क्या गलत किया। भाई ये उसकी मजबूरी हो गई थी क्या करता गद्दे के नीचे नोट बिछाए बिना उसे नींद ही नहीं आती थी। और तुमने उसी को मुद्दा बना दिया। हम कहे, पर वो तो इधर-उधर का पैसा था। उसका अपना थोड़े ही था। अरे अपना कैसे नहीं था। अच्छा बताओ उसने पैसा कैसे बनाया। ठेकेदार से ही तो लिया था। तो इसमें क्या गलत किया। मुझे तो एक मेरे परिचित बता रहे थे कि ये तो ठेके के क्लॉज में ही शामिल होता है। तीन से छह प्रतिशत का तो अनलिखा कानून होता है। अब उसने अपना हिस्सा ही तो लिया था। बस उसकी गलती थी तो इतनी की उसने सुख की नींद के लिए उनका बिस्तर बिछा लिया। यदि वो उसे स्विट्जरलैण्ड के बैंक में भेज देता तो कुछ नहीं होता। कोई नहीं बोलता, क्योंकि जो बोल रहे हैं उनके भी दामन साफ नहीं हैं। ... और फिर वो तो जिस कुनबे में रहता था वहां तो हर कोई नोटप्रेमी ही था। मुखिया तक नोट के बल पर राज चला रहे थे। उनका तो कुछ हुआ नहीं बस फंस गया ये बिचारा चैन की नींद सोने का जतन करने वाला। मैंने कहा, पर इससे तुम्हें क्या फर्क पड़ता है। सुखीराम चाहे सोए या चारे की रेल में सफर कर सबको मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाए तुम क्यों परेशान हो रहे हो। चचा बोले, अरे वाह अजीब अहमक हो मैं क्यों परेशान नहीं होऊँ। आज सुबह से ही परेशान हूं। मेरी भी तकिए के नीचे पैसे रखकर सोने की आदत है। कभी किसी ने पकड़ लिया तो। कल ही रात सोते समय जेब में पड़ी रेजगारी तकिए के नीचे रख सो गया था। जरा देर में ही सपना आया की सब तरफ लोग खड़े धिक्कार रहे हैं। तुरन्त नीदं खुल गई एक एक सिक्का टटोलकर हटाया। फिर भी सारी रात नींद नहीं आई। चचा की बात में दम था, हम भी कभी कभार पर्स सिरहाने रख सो जाया करते थे। सो चिंता होना जायज था। मैंने कहा चचा एक बात बताओ ये जब सुखीराम के बिस्तर से नोटों का गद्दा बरामद हुआ था तब जो कोतवाल था वो तो उसका रिश्तेदार था न फिर कैसे फंस गया। अरे वही तो गड़बड़ हो गई उस दौरान कुछ तनातनी सा माहौल चल रहा था। मैंने कहा तो तुम चिन्ता मत करो अपने इलाके का कोतवाल अपना पक्का यार है। कुछ उससे पंगा नहीं पड़ने देंगे। वह दिन रात कहेगा तो रात कहेंगे। तुम मस्त हो कर तकिए के, गद्दे के नीचे मर्जी आए जितने सिक्के रख कर सोओ, (नोट रखने की अपनी हैसियत नहीं है) जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। एक सुखीराम के पकड़े जाने से कुछ नहीं होता यहां तो हर शाख पर सुखीराम हैं जिनके घोंसले नोटों से भरे पड़े हैं।

Wednesday, February 25, 2009

सवाल एक लाख का, जवाब अगली पोस्ट में

आज तो गजब हो गया। चाचा हंगामी लाल सुबह सबेरे ही आ धमके। मैंने उन्हें देखा तो समझा शायद अखबार लेने आए होंगे सो मैंने सारे अखबार उनकी तरफ सरका दिए पर ये क्या उन्होंने अखबारों की तरफ हाथ भी नहीं बढ़ाया। और बोले भइया वो जरा रिमोट देना। मैंने कहा क्यों क्या हो गया ? तो कहने लगे भाई बड़े गजब के आदमी हो, क्या इतना भी नहीं जानते की आज हमारी जय हो होने वाली है। मैंने कहा चचा आपको कैसे पता कि हमारी ही जय हो होगी। शर्तिया हमारी ही जय हो होगी। देख लेना । मैने कहा अच्छा तुम्हें क्या ऑस्कर वालों का फोन आया है जो इतने कॉन्फिडेन्स से कह रहे हो। ऑस्कर वालों का तो नहीं लेकिन यहां के मल्टीप्लेक्स और टीवी चैनल वालों का फोन जरूर आया था। कह रहे थे कि हॉलीवुड के फिल्म प्रोड्युसरों की नजर यहां के मल्टीप्लेक्स पर और टीवी स्क्रीन पर है। उन्हें भरोसा है कि उनकी फिल्मों को यहां देखने वाले मिल जाएंगे। यहां के लोग वहां की फिल्म नहीं देखेंगे तो यहां के विषय औऱ हालात को घोट घाट कर कुछ बनाएंगे जो कमाल कर जाएगा। मैंने कहा चचा फिर भी इतना कॉन्फीडेंस क्यों। तो कहने लगे कल रात स्टीवन स्पीलबर्ग सपने में आए रहे । कहने लगे चाचा मंदी की मार बहुत पड़ रही है। क्या करें कैसे उभरे। फिल्म तो बना देते हैं पर कारोबार नहीं हो रहा। कुछ उपाय बताओ, तो हम कहे देखो इसका बहुत आसान सा रामबाण नुस्खा है, तुम विदेशी सौदागरों को तो पहले से ही पता भी है कि संसार में कुछ कमाने के लिए कुछ बेचना है तो हिन्दुस्तान में बेचो। जम के कमाई होगी। वहां सब केवल खरीदने वाले ही मिलते हैं। अभी कुछ साल पहले तुम लोग ऐसा ही एक चमत्कार कर भी चुके हो। लाइन से सुन्दरियों की लाइन लगा दी थी। नतीजा तुम्हारे ही सामने है वहां का कॉस्मेटिक बजार भारत के भरोसे कुलांचे भरने लगा था। अब फिर से यही चमत्कार दोहराओ। उनकी समझ बात आ गई होगी तो अभी कुछ ही देर में जय हो का नारा बुलन्द हो ही जाएगा। चचा की बात कुछ मेरी भी समझ में आने लगी थी। पांच सात फिल्मों को सही रेस्पोन्स मिल गया तो समझो उनकी लॉटरी लग गई। टीवी पर चलीं तो विज्ञापन का बजट मिल जाएगा। चलो कुछ भी हमारी तो जय हो ही जाएगी। हम यही सोचे बैठे चाय के घूंट लगा रहे थे की चचा हंगामी लाल ने सवाल उछाल दिया, बच्चू तुम्हारे लिए सीधे ही लाख रुपए का सवाल है- जरा जवाब देना

भारत यदि हॉलीवुड का बाजार बन गया तो क्या होगा

  1. बॉलीवुड के फिल्मकार मौलिक हो जाएंगे, क्योंकि वो जहां से आइडिया चुराते थे वो ही उनके कॉम्पीटिशन में होंगे
  2. हमारे शाहरुख और सलमान की सिक्स पैक बढ़कर ट्वेल्व पैक हो जाएगी और वो पचपन साल में भी हीरो बने दिखेंगे (वहां तो ऐसा ही होता है)
  3. हमारे सेंसर बोर्ड की जरूरत ही खत्म हो जाएगी क्योंकि सेंसर बोर्ड भी आखिर कितनी कैंची चलाएगा
  4. हमारी अंग्रेजी सुधर जाएगी

सही जवाब देने वाले इनामी राशि के चैक के बारे में अगली पोस्ट के बाद ही पता चल पाएगा। मैं भी इस सवाल के जवाब देने की गुत्थी सुलझाने में जुटा हूं आपको जवाब सूझे या कोई और ऑप्शन सूझे जरूर बताएं।