Saturday, March 1, 2008

बहस छोड़ें, बस ब्लॉगिंग करें

हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर्स पर इन दिनों काम की पोस्ट ढूंढ़ने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। कुछ लोग बहस में जुटे हैं, अभद्र भाषा है, आरोप हैं, प्रतिबंध लगाने की बात है और कहीं दबी छुपी गुट बंदी की बात भी। मैंने कहीं मन में पक्का कर रखा था कि मैं ब्लॉगिंग पर होने वाली इस प्रकार की किसी भी आपसी छिंटाकशी से दूर रहूंगा और बस जो अच्छा लगेगा वह पढूंगा, सुनूंगा। मेरा मानना है कि ब्लागिंग स्वतंत्र अभिव्यक्ति का एक ऐसा मंच है जो संपादकीय कतर ब्यौंत से परे औऱ मन की अपने विचारों की, सोच की अभिव्यिक्ति है। इसके चलते पिछले कुछ समय में( मैं पिछले लम्बे अर्से से यहां हूं) एकाएक हिन्दी ब्लॉगसॆ की संख्या में अच्छी खासी बढोतरी हुई। कई अच्छे ब्लॉग्स हैं। जिन पर बहुत कुछ ऐसा आता है जो मन को भाता है। इसके चलते लग रहा है कि चलो अच्छा है इन्टरनेट ही सही एक मंच तो मिल रहा है लोगों की भावनाओँ, लेखन को जानने का। हां, कुछ ब्लॉग ऐसे भी हैं जिन पर जाने का कोई मन नहीं होता, इन्फेक्ट वहां जाता भी नहीं हूं। हिन्दी ब्लॉगिंग की इस समृद्धता से मन प्रसन्न है। कुछ ब्लॉग अपनी राग गाते हैं, उनका अपना चरित्र है, वहां जाने वालों को वह अच्छा भी लगता होगा। यही तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। यहां लोग अपनी बात कर रहे हैं, समाज की बात कर रहे हैं, अपने अंदाज में कर रहे हैं, अपनी पहचान से कर रहे हैं, छद्म पहचान से कर रहे हैं, पर कर रहे हैं। अब सवाल उठता है निजी मान अपमान का? तो एक बात तो हम सभी ब्लॉगर्स को समझ लेनी चाहिए की हम यहां अपनी रिस्क पर हैं। किसी ने भी हमें ब्लॉग बना कर अपने बात पोस्ट करने के लिए जबरन नहीं उकसाया है। हर कोई जो भी लिख रहा है अपनी इच्छा से लिख रहा है। सारी समस्या है, प्रतिक्रिया की। हम अपने लिखे की टिप्पणी चाहते हैं और साथ चाहते हैं कि हर कोई हम से सहमत हो। असहमत होने पर हम अपनी सफाई भी देते हैं। बस यहीं से विवाद शुरु हो जाते हैं। मुझे तरकश वाले संजय जी की एक पोस्ट में इस टिप्पणी पुराण का महत्व, साइड इफेक्ट, समझ आया और मैंने उसी समय से अपने ब्लॉग पर से टिप्पणी का ऑप्शन हटा दिया। यानी अपने ब्लॉग पर जो मैं लिख रहा हूं अपनी अभिव्यक्ति के लिए है न की किसी अन्य से प्रशंसा पाने के लिए। अन्य से प्रशंसा पाने के लिए नौकरी ही बहुत है। इन दिनों ब्लॉगवल्डॆ में चल रहे सारे झगड़े की जड़ यही टिप्पणी आकांक्षा है। लोग मिलने चाहिये अपने बौद्धिक विचारों को आपस में बांटने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए लेकिन शायद यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धड़े बंदी हो गई है। ऐसा नहीं है कि मैं किसी को गाली दिए जाने या किसी का अपमान करने का पक्षधर हूं। यह अधिकार किसी को भी नहीं होना चाहिए। जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे गलत हैं, पर इन्हें तरजीह देना भी गलत है। इनकी ओर ध्यान दिए बिना यथावत अपने अनुसार पोस्टिंग करते रहें तो ही हिन्दी ब्लॉगिंग का बढ़ता कारवां अनवरत बढ़ता रह सकता है।
आप कहेंगे कि जब मैंने इस विषय पर नहीं लिखने का सोच रखा था तो ऐसा क्या हो गया कि इतना लम्बा लेख दे मारा। दरअसल आज इरफान के लेख में मैंने हिन्दी ब्लॉगिंग की ओर एक निराशा का भाव देखा। इरफान एक बहुत अच्छे ब्लॉगर हैं और उनकी बहुत सारी पोस्ट, पॉडकास्ट ने हिन्दी ब्लॉगजगत को समृद्ध किया है। उनका या उनके जैसे लोग यदि इस प्रकार की बहसों से विचलित होजाएंगे तो ब्लॉगिंग का नुक्सान हो सकता है। इसलिए सभी लोगों से खासकर इस प्रकार की बहसों में हिस्सा लेने वालों से एक ही आग्रह है कि जिसे जो पोस्ट करना है उसे उसके ब्लॉग पर पोस्ट करने दें। आपकी उससे मतभिन्नता है तो अपने ब्लॉग पर उसे जाहिर करें। लेकिन प्रतिबंध की बात न करें। यह तय है कि सनसनी बिकती है और उसकी टीआरपी भी ज्यादा होती है लेकिन हर कोई उसका रुख करेगा तो ब्लॉगजगत भी हिन्दी न्यूज चैनलों की राह पकड़ लेगा। इस विवाद पर ये मेरा पहला और आखिरी पोस्ट है। बस सबसे गुजारिश है कि धड़े बंदी करने की बजाय अभिव्यक्त करते चलें। जितनी ज्यादा अभिव्यक्तियां होंगी ब्लॉग्स उतने ही लोकप्रिय होंगे। अभी प्रश्न किसी एक को रोकने का नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बुलाने का है। तो बस ऐसा लिखें की अन्य लोग भी ब्लॉग बनाएं औऱ ब्लॉग एग्रीगेटसॆ की २४ घण्टे की सूची में पोस्टिंग की सूची लम्बी होती जाए। सादर....


पुनश्चः यहां किसी को निजी तौर पर प्रताड़ित करने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए,इसके लिए सम्बंिधत को तुरन्त साइबर कानून का सहारा भी लेना चाहिए। निजी जानकारी को सार्वजनिक करना एक घृणित कृत्य है। मेरी नजर में किसी के नम्बर को उसकी अनुमति के बिना सार्वजनिक करना भी ऐसा ही है। इस प्रकार की ब्लॉगिंग करने वाले कृपया ऐसा न करें।