Thursday, September 25, 2014

जयपुर को तुम पर गर्व है शगुन,Shagun



आज सुबह एशियाड की खबरों के बीच एक खबर थी, भारत को शूटिंग में एक और कांस्य। सहज और सामान्य दिख रही इस खबर में अभी इंचियोन में चल रहे 17 वें एशियाड खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की पदक तालिका में एक और पदक का इजाफा होने का ब्यौरा था। जाहिर है उत्साहित मन खबर को पढ़ने के लिए बेकरार हो रहा था, पर ज्योंही नजरें खबर से गुजरने लगीं, एक नाम पर निगाह अटक गई और दिल खुशी से उछल पड़ा। वो नाम था शगुन चौधरी का। शगुन यानी जयपुर की शगुन चौधरी। राज्यवर्दन सिंह, अपूर्वी चंदेला और शगुन चौधरी। जयपुर के शूटर जो दुनिया भर में जयपुर का नाम रोशन कर रहे हैं। शगुन ने डबल ट्रैप टीम स्पर्धा में श्रेयसी सिंह और वर्षा बर्मन के साथ कांस्य पदक जीता। इन तीनों में भी शगुन का प्रदर्शन अव्वल दर्जे का रहा। शगुन को 96 अंक और श्रेयसी को 94 अंक मिले, जबकि वर्षा 89 अंक हासिल कर पाईं। शगुन की इस उपलब्धि से हर जयपुरवासी का सीना गर्व से फूल गया है। जयपुरी निशानेबाजों के इस कदर अच्छे प्रदर्शन के चलते राज्य सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है और प्रदेश में शूटिंग की सुविधाओं को और अधिक बढ़िया किए जाने की दरकार है।

हम विश्व पयर्टन दिवस क्यों मनाते हैं?,World tourism day, 27 september,WTO

केसरिया बालम, आवो नी पधारो म्हारे देस.... । रेतीले धोरों से जब मांड की यह गूंज फिजां में गूंजती है तो अब पहली कल्पना में जो चित्र  बनता है वो किसी सजीले बांके पिया का नहीं होता बल्कि एक  समूह में कैमरा लटकाए हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को निहारने आए विदेशी सैलानियों का होता है। जाहिर है पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही से मिलते रोजगार के चलते अब हर कोई सैलानियों के स्वागत को पलक पांवड़े बिछाए खड़ा है। विश्व भर में पर्यटन को जबरदस्त संभावना वाले उद्योग की तरह देखा जाता है। साथ ही यह वैश्विक समुदाय में आपसी सद्भावना बढ़ाने वाला भी माना जाता है।इसी माध्यम से लोग एक दूसरे की संस्कृति को जानते समझते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी सांस्कृतिक सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यटन संगठन (वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन) की स्थापना की। इसकी स्थापना की शुरूआत तो 1925 में हेग में International Congress of Official Tourist Traffic Associations (ICOTT) की स्थापना से हो गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद  International Union of Official Travel Organizations (IUOTO) के रूप में यह आगे बढ़ा।  1970 में IUOTO की महासभा ने विश्व पर्यटन संगठन के गठन का संकल्प पारित किया ।  1 नवम्बर 1974 से यह विधिवत काम करने लगा। 2003 में पन्द्रहवीं आमसभा में डब्ल्यूटीओ महा परिषद और यूएन इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी का रूप देने पर सहमत हो गए।1980 से डब्ल्यू टी ओ 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मना रहा है। 1970 में इसी दिन डब्ल्यू टी ओ के गठन का संकल्प स्वीकार किया गया था। संगठन हर वर्ष एक नई थीम पर इस दिवस के कार्यक्रम आयोजित करता है। वर्ष 2014 के लिए तय की गई थीम, टूरिज्म एंड कम्युनिटि डवलपमेंट यानी पर्यटन एवं सामुदायिक विकास है।
विश्व पर्यटन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना है। विश्व पर्यटन दिवस का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटन के द्वारा अपने देश की आय को बढ़ाना है। विश्व पर्यटन संगठन इस दिवस के अवसर पर एक राष्ट्र को वर्ष भर के लिए सहभागी  मेज़बान राष्ट्र घोषित किया जाता है जो कि  भौगोलिक क्रमानुसार होता है।


MARS,mom, MANGAL,अरूण यह मंगलमय देश हमारा

अरूण यह मंगलमय देश हमारा, जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
इन पंक्तियों को पढ़ कर आपको सहज ही याद आ रही होगी इन पंक्तियों के रचयिता महाकवि जयशंकर प्रसाद की । अर...आप सोच रहे होंगे.. इस पंक्ति में तो गलती है, पर नहीं जी, ये पंक्ति बिल्कुल दुरुस्त है, बस कालखंड बदल गया है। दशकों पहले इन पंक्तियों को रचने वाले आदरणीय प्रसाद जी शायद आज इस पंक्ति को इसी तरह लिखते। आखिर हमारा देश मंगल तक जो पहुंच गया है। तो कहिए क्या वे अरूण यह मधुमय देश हमारा की जगह अरूण यह मंगलमय देश हमारा नहीं कहते। जरूर कहते ।