हिन्दी में काम करें,,
कई दिनों से एक प्रश्न मन में लगातार उठ रहा है। हमारे यहां सरकारी भाषा हिन्दी क्यों नहीं है। क्या कभी गौर किया है थाने में पुलिस का हवलदार जो भाषा काम में लेता है वो अंग्रेजी नहीं होती और न ही वह हिन्दी होती है। वह होती है उर्दुनुमा हिन्दी। इसी तरह कोर्ट में जो भाषा काम में ली जाती है वो होती फारसीनुमा हिन्दी। सरकारी दफ्तरों में जो भाषा काम में ली जाती है वह होती है अंग्रेजी। सभी तरह के परिपत्र अंग्रेजी में जारी होते हैं। सभी नियम उप नियम अंग्रेजी में बनते हैं। सभी एक्ट अंग्रेजी में बनते हैं। ऐसा क्यों..... इसको लेकर हम कोई आंदोलन क्यों नहीं करते।
यहां राजस्थान में राजस्थानी बोली को लेकर तो आंदोलन शुरु हो गया है,पर हिन्दी को लेकर कोई आग्रह क्यों नहीं है। मेरा अंग्रेजी से विरोध नहीं है। वह भी पढ़ाइये बल्कि पूरे मन से पढ़ाइये। ताकि हम प्रतिस्पर्धा के अनुकूल बने रह सकें। पर हमें रोजमर्रा के कामकाज में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी को प्रतिस्थापित करना ही होगा। और अंत में मेरा फिर सभी से आग्रह हमें हिन्दी में काम करना चाहिए और इसे कम से कम नारा से ज्यादा एक आंदोलन के रूप में लें।
सादर
8 comments:
बिलकुल सही मुद्दा उठाया है आपने । सरकारी हिंदी कभी देखी है आपने, इतनी क्लिष्ट कि आम आदमी इससे दूर भागे । जरूरत है सरकारी हिंदी के लिये सरल पर्यायवाची शब्द ढूढे जायें और उनका एक शब्द कोश बनाया जाये
आशा जी आपकी बात दुरुस्त है, पर हम हर बार यहीं गलती करते हैं। शब्दकोष बनाने की जरूरत हमें क्यों हैं, हिन्दी बहुत समृद्ध भाषा है,, इसका शब्दकोष मौजूद है, बस अनुवाद करते समय मक्खी पर मक्खी बैठाने की प्रक्रिया से बचा जाना चाहिए,, वरना हम रेल के लिए लौहपथगामिनी का उपयोग ही करते रहेंगे.. हमें रेल के उपयोग में क्यों आपत्ति होनी चाहिए। आखिर सालों के अभ्यास से यदि यह शब्द आम आदमी की जुबान पर चढ़ गया है तो चढ़ने दीजिए,, मेरे ख्याल से मातृभाषा भी वही तो होती है जो हम सहजता से बोल समझ पाते हैं,, सरकारी तंत्र को यदि हिन्दी में लिखने के लिए विवश किया जाएगा तो साल दो साल में सारे शब्द अपने आप सीख जाएगा ये तंत्र,,।
प्रिय अभिषेक जी कृपया आप अपना इ मेल मेरे मोबिईल ९४५०४५६४६४ पर एस. यम. एस. करने का कस्ट करे. हम भी हिंदी के लिए ही लड़ रह है. कृपया आपसे हमे काफी मदद मिल सकती है. http://www.saveindianrupeesymbol.org/
aap sabhi ke vichar hindi ke ke hit ke sat sat dash ke 1 aam insan ke liye bhe karjar sidh ho sakte he ... or hame hindi ko puri lagan ke sath aage lana he
aaj inglish ko kafi badava diya ja raha he
hamare dash me kafi sankhya me hindi ke mahan jyata he bs hame hamari desh me akta ki jarurat he ...... jo ki hamari sanskriti ki vishata he .... mene sahi kaha ki nahi....
meri koi truti ho to krpiya shama kare ....
हिन्दी हमारी पहचान है.हिंदी दिवस की मधुर साझ बेला पर हम आईये संकल्प ले कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाना है तभी गांधी जी का सपना पूरा होगा .
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