Saturday, December 8, 2007

गुजरात तय करेगा देश का भविष्य

गुजरात चुनाव वाकई महज एक राज्य के चुनाव तक सीमित रहने वाले चुनाव नहीं रह गए हैं। दरअसल ये चुनाव कहीं न कहीं दक्षिण औऱ वाम पंथ की लड़ाई को निर्णायक दौर में पहुंचाने वाले हो गए लगते हैं। भाजपा में कोई कारआमद नेतृत्व नहीं होने के चलते गुजरात के चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा असर करेंगे। यदि गुजरात के नरेन्द्र भाई जीते तो उनके राज्य की राजनीति से आगे राष्ट्र् की राजनीति पर चमकने को तय मानिए। यदि वे खेत रहे तो राष्ट्रीय परिदृश्य से भाजपा के खेत होने की शुरुआत मानिए। भला हो बुद्धदेव का जो नंदीग्राम रच दिया औऱ वामपंथ औऱ दक्षिणपंथ का पलड़ा बराबर कर दिया वरना नरेन्द्र मोदी अकेले ही गोधरा को लेकर कोसे जाते और मुकाबला कड़ा नहीं हो पाता लेकिन अब मुकाबला आर पार का है। गुजरात तय करेगा कि हिन्दुस्तान में कौन जीतेगा। शायद इसीलिए राष्ट्रीय राजनीति में कम महत्वपूर्ण माने जाने वाला राज्य गुजरात के चुनाव में राष्ट्रीय मीडिया प्रणप्राण से जुट गया है। कवरेज करने नहीं बल्कि नतीजे प्रभावित करने में। कल की बात कर रहा हूं। एक औऱ तो अपने पंकज भाई एनडीटीवी पर पोरबंदर को चोरबंदर कहते हुए पिछले पांच साल में बंद हुई फैक्ट्रीयों का हिसाब किताब कर रहे थे। तो दूसरी ओऱ और आजतक औऱ हेडलाइन्स टुडे पर मोदी के समर्थन में ऑरकुट जैसी वेबसाइटों पर चल रहे अभियानों के बारे में जानकारी दी जा रही थी। कितना भयंकर विरोधाभास है, एक और ऑरकुट को संस्कृति पर खतरा बताने वाले लोग उसी की सहायता ले रहे हैं तो दूसरी ओऱ एक चैनल पूरी तरह विपक्ष की भाषा बोलता लग रहा है। सामान्यतया इस तरह के आरोप नेता प्रतिपक्ष अपनी प्रेस कांफ्रेंस में लगाता रहता है और प्रेस इसे इसी रूप में कवर करती है। स्वतंत्र प्रेक्षक के रूप में भारतीय मीडिया केवल माहौल की खबरें प्रसारित करने तक सीमित रहता दिखता रहा है। वो तथ्य प्रस्तुत करता है पर उसके नतीजे श्रोताओं, दर्शकों, पाठकों पर छोड़ता आया है, लेकिन इस बार खेल दूसरा लग रहा है। मीडिया तथ्य दे रहा है उसके नतीजे, निष्कर्ष दे रहा है और निर्णय के लिए एक लाइन भी दे रहा है। अब ये नीति कितनी कारगर होगी। कौन जीतेगा ये तो वक्त बताएगा लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि जब हर ओर से मोदी की एक तरफा जीत की खबरें आ रही हैं तो मोदी ने विकास का गीत गाते गाते, सोहराबुद्दीन मामले को उछालते हुए हिन्दुत्व की टेर क्यों लगाई। कुछ तो बात है? ......गुजरात के नतीजों का देश की जनता को बेसब्री से इन्तजार है। खासकर राजस्थान की जनता को जिसकी वर्तमान मुख्यमंत्री के कार्यकाल को आज ही के दिन चार साल पूरे हुए हैं। गुजरात के चुनाव मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के अगले साल की दिशा औऱ उनकी कार्यशैली को तय करेंगे। आज चार साल का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर जयपुर में विशाल रैली आयोजित की गई। इस सरकारी सफलता के जश्न में काफी तादात में लोग जुटे। जयपुर की हर सड़क पर अभूतपूवॆ जाम था। एक किलोमीटर की दूरी पार करने में लोगों को एक घण्टा लग गया। पर सरकारी जश्न था इसलिए सब कोई हंस कर सह रहा था। जो मिला वही पूछ रहा था कि रैली कैसी रही । एक दो लोगों ने बताया है कि कोई एक लाख लोगों ने शिरकत की है। इस लिहाज से रैली सफल कही जाएगी। लेकिन इस भीड़ से भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होगा गुजरात की मतपेटी से निकलने वाला जिन्न। वह जिन्न राजस्थान ही बल्कि पूरे देश की भावी राजनीति को तय करने वाला है। यदि नरेन्द्र मोदी फिर गुजराते अगले मुख्यमंत्री होते हैं तो तय मानिए की वे भी मायावती की ही तरह एक न एक दिन लाल किले से भाषण देने के दावेदार बन जाएंगे। देखिए क्या होता है। पर गुजरात की दिलचस्प लड़ाई विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही न्यूज चैनलों पर भी है। देखते रहिए औऱ मुस्कुराते रहिए,क्योंकि होगा वही जो मतदाता चाहेगा। और वो चाहता है किसी को कहता नहीं बस करता है. परिणाम अपना रंग दिखाएंगे और उसके बाद यही चैनल उसका विश्लेषण करते रहेंगे।

1 comment:

संजय शर्मा said...

Bahut Badhiya ! Tewar barkarar rahe !