Wednesday, July 28, 2010

निशाना हमेशा एक तरफ क्यों

अजहरुद्दीन इन दिनों मीडिया के निशाने पर हैं। आम तौर पर राजनेताओं और खिलाड़ियों की निजी जिन्दगी में दखल नहीं देने वाला मीडिया अजहर के बेडमिंटन प्रेम के कारण खोज रहा है। इसकी गहराई में ज्वाला गुट्टा की अजहर से नजदीकियां नजर आईं। फिर सामने आया कि बिजलानी भी काफी समय से अजहर के साथ नहीं हैं। तो खबर बनी की अजहर अब फिर अपने से करीब 20 साल छोटी ज्वाला से ब्याह रचाने की तैयारियों में हैं। तमाम देश चिंतित है। खासकर मीडिया और समाजशास्त्री इसलिए क्योंकि अजहर एक सांसद हैं, स्टार हैं। वे यूं बार बार शादियां रचाएंगे तो समाज में क्या संदेश जाएगा। समाज किस दिशा में जाएगा। संगीता बिजलानी यानी एक नारी का बसा बसाया घर उजड़ जाएगा। हां ये चिन्ताएं मौजूं हैं, पर मेरा सवाल जरा दूसरा है। क्यों ऐसे हर मामले में पुरुष ही समाज के निशाने पर होता है। क्यों किसी पहले से किसी के बसे बसाए घर पर नजर लगाने वाले नारी उनका निशाना नहीं होती। यदि अजहर और ज्वाला की नजदीकियों की बात सही है,( हालांकि ज्वाला इससे लगातार इनकार कर रही हैं,) तो क्या यह संभव है कि अजहर उस जैसी अन्तरराष्ट्रीय खिलाड़ी जिसने दुनिया देखी है, को फुसला सकता है। क्या ज्वाला को नहीं पता है कि अजहर पहले से शादीशुदा है और संगीता से उसकी दूसरी शादी है। जब वो यह सब जानती बूझती है तो फिर निशाना केवल अजहर की क्यों। शायद नारीवादियों को मेरी बात में पुरुषवाद की बू आए।

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