Saturday, February 16, 2008

दुनिया के सारे पुरुषों एक हो जाओ....

दुनिया के सारे पुरुषों एक हो जाओ....
एक बेरोजगार आत्महत्या के बाद जब परालोक में पहुंचता है तो जब वहां अपनी मृत्यु का कारण बेरोजगारी बताता है, तो कारण लिख रहे क्लर्क ने एकाएक अपने हाथ रोक लिए और कहने लगा, तुम नए लोगों को कुछ समझ नहीं आता, प्रगति के नाम पर जाने क्या कर रहे हो। इन दिनों ऊपर आने वालों लड़कों में बेरोजगारी ही एक बड़ा फैक्टर है। ससुरे समझते ही नहीं हैं जाने कौनसी समानता का राग अलाप रहे हैं। अब झेलो समानता, छोकरियां ही नौकरियां ले रही हैं और इनके पास तो कोई काम नहीं है। खैर भाई आ गए हो तो अन्दर चलो, पर यहां समानता का राग मत अलापना। युवक को अन्दर जाते ही घोड़े पर विराजमान बालों को पीछे चोटी की तरह बांधे हुए एक शख्स के दर्शन हुए, तलवार हाथ में लिए कुछ चिन्तातुर सा यह शख्स पहला सवाल दागता है, सुपर ट्युसडे का क्या रहा? ये क्या होता है? अरे भाई वहां मेरे सिंहासन पर कौन बैठने वाला है? आपका सिंहासन? हां वही जिसे बड़ी मुश्किल से बनाया था। अब तक तो सब ठीक था, पर लगता है इस बार कोई गड़बड़ है, या तो कोई लेडी होगी या कोई ब्लैक. पूरा सिस्टम तहस नहस करने पर तुले हैं, पता नहीं क्या हो गया है धरती के पुरुषों को जो अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारने चले हैं। हमें पता था कि एक बार यदि इन लेडिजों,यही कहा गया था, (महिलाओं) को यदि घर से बाहर निकलने दिया तो सारे जेन्टसों की जरुरत ही नहीं रहेगी। पहले कहा पढ़ाओ, पढ़ाया तो नतीजा देख लो, सारे काम धन्धों में हर तरफ महिलाएं ही महिलाएं नजर आ रही हैं,तुम कहते थे, इन्हें सॉफ्ट काम देंगे, ऐसा सॉफ्ट काम दिया कि खुद ही सॉफ्ट हो गए। अब देखो हर हार्ड काम पर ये सोफ्ट गल्सॆ ही दिख रही हैं। सेना से लेकर सोफ्टवेयर तक। दुकान से लेकर मकान तक। और अब राजनीति में भी ये ही दीखेंगी। हम तो जानते थे कि ये जो मादा है यह आदम से ज्यादा समझदार है,इसलिए तरकीब लगाई और इसे घर तक ही रखा था। इसीका नतीजा था कि सबसे ज्यादा सभ्य होने का दम भरने वाले देश में भी आज तक कोई महिला नेतृत्व करने के लिए तरस रही है। पर अब देखो क्या होगा? संकट ये नहीं है कि लड़कियां राज करेंगी। संकट ये कि फिर ये बिचारा मर्द करेगा क्या। लड़कियां तो घर का काम करके और बच्चे पालकर ही खुश थीं। क्योंकि उन्हें लगता था कि कुदरत ने उसे इन्हीं कामों के लिए बनाया है, पर मर्द क्या करेगा? नौकरियां सारी आधी दुनिया के हवाले होती जा रही हैं। घर चलाना औऱ बच्चे पालना मर्द को कभी आ नहीं सकता। क्योंकि उसमें वो सहज संभाल करने की आदत नहीं होती। और फिर अब तो विग्यान ने ऐसा काम कर दिया है कि बच्चे पैदा करने के लिए भी लड़कियों को लड़कों की जरुरत नहीं होने वाली। राज और काज करेंगी लड़कियां और लड़कों को घर के काम करवाएंगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो लड़कों को बेरोजगारी के चलते मर कर ऊपर ही आना है। तुम भी ऐसे ही आए हुए लगते हो।
लड़का बेचारा अवाक, वाकई उसे याद आने लगा कि वह जहां जहां भी नौकरी के लिए गया हर जगह किसी न किसी लड़की का ही सलेक्शन हुआ। उसकी महिला मित्र भी एक बैंक में अच्छे पैकेज पर काम करती थी। चाहती थी कि लिव इन रिलेशन में वह ही सारे काम करे। बर्तन, कपड़ों और खाना बनाने तक तो ठीक था। पर उसकी दोस्तों के सामने पानी सर्व करने और , बड़ा अच्छा है, कहां से लाईं? जैसी बातें सुन कर ही तो उसने मरने का मन बनाया था, ये अलग बात है कि सुसाइड नोट में उसने बेरोजगारी का जिक्र किया था। ये चोटी वाला बात तो ठीक कह रहा है। इसका इलाज क्या हो यह भी इससे ही पूछना चाहिए। सर इसका कोई हल? हल मेरे पास नहीं है,हल वो सामने जो दाढ़ी वाला है, वो ही हल निकालने का दावा करता है, उसी से पूछो?
लम्बी सफेद हल्की काली दाढ़ी वाले ने एक ही मंत्र दिया- दुनिया के सारे मर्दों एक हो जाओ.

1 comment:

surjeet said...

अभिषेकजी, जब आपने ने दुनिया के मर्दों को ललकारा है, तो जो मर्द होंगे वे अवश्य सुन लेंगे। लेकिन भ्रमित मर्दों का क्या होगा, समझ में नहीं आ रहा।