वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अपना तीसरा बजट पेश कर दिया और कुल मिला कर जो तस्वीर सामने उभरी है वो भविष्य की तस्वीर है। यह बजट भी मोदी सरकार के अब तक काम करने के तरीके को आगे बढ़ाता हुआ भविष्य की सुनहरी तस्वीर खींचता है। हालांकि आयकर सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ पर सेवा कर पर कृषि कल्याण कर लगा कर व्यक्ति के आम जीवन को और अधिक महंगा बना दिया गया है। महंगी कारों को और महंगा किया है। सस्ती चीजों की सूची अभी नहीं आई है। बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन अच्छी योजना है पर गरीबों को कनेक्शन देने में कागजात की जो मूलभूत समस्या आती है उसे कैसे दूर करेंगे? कृषि और किसानों की बहुत बात की गई है और सपना दिखाया गया है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। यह अच्छी बात है, पर इसे अमली जामा भी पहनाना होगा। मोदी सरकार की जवाबदेही तो 2019 तक की ही है। यानी यह गेंद अगली सरकार के पाले में डाली गई है। नए कर्मचारियों के लिए ईपीएफ की सरकारी हिस्सेदारी काबिलेतारीफ है। कालेधन का मुद्दा मोदी सरकार की प्राथमिकता में रहा है और इसके लिए सरकार ने एक बार फिर एक कदम उठाया है घरेलु टैक्स एमनेस्टी योजना के रूप में जिस पर 45 प्रतिशत का टैक्स देने के बाद काला धन सफेद हो जाएगा। उम्मीद करते हैं काला धन के जमाखोर बड़ी संख्या में इसका फायदा उठाएंगे। बाकि बाते सैद्धांतिक हैं और हर बजट में होती हैं।
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