Tuesday, March 7, 2017

लड़कियों में हार्मोनल चेंज की लक्ष्मण रेखा खींचने वाली मेनका भी गुजरीं थी उस उम्र से ...

मेनका गांधी एक बार फिर से चर्चा में हैं। पशु अधिकारों को लेकर झंडा बुलंद करने वाली केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस बार छात्रावास में रह रही लड़कियों के रात में बाहर जाने की अनुमति नहीं देने के पीछे लड़कियों में हो रहे हार्मोनल चेंज से जोड़ा है और इसे लक्ष्मण रेखा भी करार दिया है।
इन्टरनेट पर चल रही खबरों के अनुसार मेनका गांधी से एक टीवी चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान लड़कियों ने कहा कि उन्हें देर रात लाईब्रेरी तक नहीं जाने दिया जाता, इस पर मेनका का जवाब था कि, 16-17 साल की उम्र में आपमें हार्मोनल चेंज आते हैं इसलिए ये लक्ष्मण रेखा बनाई गई है। कार्यक्रम के दौरान जब लड़कियों ने कहा कि लड़कों को क्यों नहीं रोका जाता तो, मेनका का प्रत्युत्तर था कि ये उन्हें एक्सीडेंट्स जैसी बाहरी दुर्घटनाओं से बचाने के लिए है।
जानी मानी पशुअधिकारविद मेनका जिस उम्र को लड़कियों के लिए हार्मोनल चेंज की उम्र बता रही हैं मेडिकल साइंस के अनुसार अधिकांश लड़कियां उससे कहीं पहले हार्मोनल चेंज यानी प्युबर्टी के दौर से गुजर जाती हैं। चिकित्साविज्ञानियों के अनुसार लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन का दौर 7 से 13 साल की उम्र के बीच होता है वहीं लड़कों में यह परिवर्तन 9 से 15 साल की उम्र में होता है। यानी हार्मोनल परिवर्तन के दौर से तो हकीकत में लड़के गुजर रहे होते हैं। लड़कियां तो 16-17 की उम्र तक आते आते उन परिवर्तनों की अभ्यस्त हो कर अपने आपको संभालना सीख लेती हैं।
यहां आपको यह भी बताते चलें कि  16-17 साल को हार्मोनल चेंज की उम्र बता कर उन्हें लक्ष्मण रेखा के दायरे में रखने वाली मेनका गांधी के बारे में इंटरनेट बताता है कि उनकी अपने पति संजय गांधी से पहली मुलाकात 14 दिसम्बर 1973 को हुई थी। जाने माने लेखक खुशवंत सिंह की किताब ट्रूथ, लव एंड लिटल मैलिस के इन्टरनेट पर मौजूद पुस्तकअंश में  मिसेज जी,मेनका एंड द आनन्द्स शीर्षक के तहत इस दिन एक पार्टी में मेनका और संजय की पहली मुलाकात का जिक्र मिलता है। वीकिपीडिया पर मेनका गांधी की जन्मतिथि 26 अगस्त 1956 बताई गई है। इस लिहाज से जब उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई थी तब उनकी उम्र थी 17 साल। यानी मेनका के अनुसार उनकी संजय गांधी से मुलाकात ऐसे दौर में हुई थी जब उन्हें लक्ष्मण रेखा के दायरे में रहना चाहिए था।
इन्टरनेट ही यह भी बताता है कि मेनका गांधी उस दौर तक मॉडलिंग शुरू कर चुकी थीं और उन्होंने एक बाथिंग टॉवल के लिए एड भी किया था। इन्टरनेट पर खोजेंगे तो वह तस्वीर भी मिल जाएगी जिसमें एक युवती बॉब कट बालों में बदन पर सीने से शुरू हो कर टखने तक को ढकता केवल एक लम्बा तौलिया लपेटे है और उस तौलिए पर भी एक महिला का चित्र बना है, और लक्ष्मण रेखा के दायरे से देखा जाए तो वह चित्र भी उस दायरे की सीमाओं को तोड़ता हुआ है। इन्टरनेट के अनुसार मेनका ने बाथिंग टॉवल का वह एड भी 1973 में किया था यानी उम्र भी वही 17 साल।
जब वे स्वयं उस दौर में मॉडलिंग कर सकती हैं, एक युवक से हुई उनकी मुलाकात उनका जीवन बदल सकती है तो लड़कियों का लाइब्रेरी में किताबें पढ़ना कैसे लक्ष्मण रेखा के दायरे में आ जाता है?
हो सकता है कि मेनका गांधी लड़कियों के साथ लगातार हो रही दुर्घटनाओं के कारण चिंतित हों और उन्हें सावधान रहने की हिदायत देना चाह रही हों। उन्होंने कहा भी है कि वे एक अभिभावक के रूप में ऐसा कह रही हैं। पर वे एक केन्द्रीय मंत्री हैं, एक आम अभिभावक नहीं। अव्यवस्थाओं के आगे झुकना उनको शोभा नहीं देता। उन्हें पहल कर के लड़कियों के लिए सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए ना कि उन्हें अपने कमरों में बंद रहने के लिए कहें। एक केन्द्रीय मंत्री के रूप में उन्हें तब ही महिलाओं का पैरोकार माना  जा सकेगा जब वे महिलाओं का जीवन सुगम बनाने का प्रयास करें। पशु पक्षियों के अधिकारों की उनकी चिंता को भी तब ही सार्थक माना जा सकता है जब वो इंसानों के अधिकारों की चिंता करें। जब तक लाईब्रेरी किसी एक भी व्यक्ति के लिए खुली रहे तब तक उसमें जाना और पढ़ना प्रत्येक इंसान का अधिकार है, और मेनका गांधी को लड़कियों के  इस अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।


No comments: