Thursday, September 25, 2014

हम विश्व पयर्टन दिवस क्यों मनाते हैं?,World tourism day, 27 september,WTO

केसरिया बालम, आवो नी पधारो म्हारे देस.... । रेतीले धोरों से जब मांड की यह गूंज फिजां में गूंजती है तो अब पहली कल्पना में जो चित्र  बनता है वो किसी सजीले बांके पिया का नहीं होता बल्कि एक  समूह में कैमरा लटकाए हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को निहारने आए विदेशी सैलानियों का होता है। जाहिर है पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही से मिलते रोजगार के चलते अब हर कोई सैलानियों के स्वागत को पलक पांवड़े बिछाए खड़ा है। विश्व भर में पर्यटन को जबरदस्त संभावना वाले उद्योग की तरह देखा जाता है। साथ ही यह वैश्विक समुदाय में आपसी सद्भावना बढ़ाने वाला भी माना जाता है।इसी माध्यम से लोग एक दूसरे की संस्कृति को जानते समझते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी सांस्कृतिक सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यटन संगठन (वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन) की स्थापना की। इसकी स्थापना की शुरूआत तो 1925 में हेग में International Congress of Official Tourist Traffic Associations (ICOTT) की स्थापना से हो गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद  International Union of Official Travel Organizations (IUOTO) के रूप में यह आगे बढ़ा।  1970 में IUOTO की महासभा ने विश्व पर्यटन संगठन के गठन का संकल्प पारित किया ।  1 नवम्बर 1974 से यह विधिवत काम करने लगा। 2003 में पन्द्रहवीं आमसभा में डब्ल्यूटीओ महा परिषद और यूएन इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी का रूप देने पर सहमत हो गए।1980 से डब्ल्यू टी ओ 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मना रहा है। 1970 में इसी दिन डब्ल्यू टी ओ के गठन का संकल्प स्वीकार किया गया था। संगठन हर वर्ष एक नई थीम पर इस दिवस के कार्यक्रम आयोजित करता है। वर्ष 2014 के लिए तय की गई थीम, टूरिज्म एंड कम्युनिटि डवलपमेंट यानी पर्यटन एवं सामुदायिक विकास है।
विश्व पर्यटन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना है। विश्व पर्यटन दिवस का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटन के द्वारा अपने देश की आय को बढ़ाना है। विश्व पर्यटन संगठन इस दिवस के अवसर पर एक राष्ट्र को वर्ष भर के लिए सहभागी  मेज़बान राष्ट्र घोषित किया जाता है जो कि  भौगोलिक क्रमानुसार होता है।


No comments: