मोबाइल पर चचा हंगामी लाल का मैसेज था,
लम्हा लम्हा वक्त गुजर जाएगा,
१६ दिन बाद नया साल आएगा
आज ही आपको हैप्पी न्यू इयर कह दूं , वर्ना,,
कोई और बाजी मार जाएगा
विश यू है प्पी न्यू इयर २०१० ...
चचा का यह मैसेज पढ़ कर हमारे चेहरे पर मुस्कान थी,, अरे एक साल गुजर गया, अभी कल ही की तो बात है जब सबको हैप्पी न्यू इयर बोला था,, नए साल के लिए कसमें खाईं थी, संकल्प लिए थे,, देखते ही देखते साल कैसे गुजर गया.... । लेकिन मन ने दूसरे ही पल कहा,, हां,, साल तो गुजर गया पर देखते ही देखते कहां गुजरा,॥ इस साल ने तो कई टीस दी हैं,,। हर लम्हा जेब पर और भी भारी हो,, गुजरा....। साल के शुरू में जहां चीनी २० -२१ रुपए किलो थी वो अब साल खत्म होते होते अड़तीस रुपए किलो तक पहुंच गई। साल के सरकने की दर पर मंदी का साया बना रहा,, बहुत सपने सोचे थे॥ नई सरकार बनेगी॥ कुछ राहत मिलेगी॥ पेट्रोल के दाम कम होंगे॥ वो तो हुआ नहीं,, उलटे मुई सब्जी भी रसोई से गायब हो गई अब सूने फ्रिज ,,(दूध तो पहले ही मंहगा था, बस सब्जियों से से फ्रीज में थोड़ी रौनक रहती थी) मंडी में मंदी छाने का इंतजार कर रहे हैं। हर सब्जी में मिल कर सब्जी को बिजनेस क्लास से इकोनोमी क्लास में लाने वाला आलू खुद ही बिजनेस क्लास में शिफ्ट हो गया। साल के शुरू में सोचा था, कुछ बचत हो जाएगी तो कुछ जरूरी चीजें खरीद ली जाएंगी,, पर बचत तो दूर ओवर ड्राफ्ट हो गया,, खैर अब फिर से नया साल आ रहा है,, नई उम्मीदें हैं... सॉरी क्षमा चाहता हूं,, साल नया है,, पर उम्मीदें वही पुरानी हैं,, क्या करूं,, इस साल कुछ हो नहीं पाया,, बस जैसे तैसे साल गुजर गया,, चचा के मैसेज में एक बात तो सही है कि लम्हा लम्हा वक्त गुजर गया... लम्हा चाहे भारीपन से गुजरे या हल्केपन से , पर गुजरता जरूर है...
चलिए,, सभी पढ़ने वालों को आने वाले नए साल की शुभकामनाएं,,,,,
1 comment:
ummid hai agle naye saal me ummide nayi hogi
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