Monday, December 14, 2009

हंगामी लाल की राज्य वार

बहुत दिन से दूसरे शहर की नौकरी बजा रहे हैं, छुट्टी में घर पहंचे तो शाम पड़ते ही चचा हंगामी लाल आ पहुंचे। बहुत दिन बाद मिल रहे थे, हम और वो दोनों बहुत खुश थे। बातों ही बातों में चचा बोल पड़े, अब मिल लो जितना मिलना हो,, क्योंकि कुछ दिन बाद तो तुम हमसे मिलने किसी अस्पताल में आओगे,,
हम चकराए, क्या हुआ चचा,, क्या बात हो गई,, भगवान बचाए अस्पताल के चक्करों से,,,
अरे वो क्या है,, बीमारी जैसी कोई बात नही है,, दरअसल हम अनशन पर बैठने वाले हैं सो जब कमजोर होंगे तो अस्पताल ही में जाएंगे न॥
अरे पर आप अनशन कर काहे रहे हो
अरे वो नए नए राज्य बनाने की मांग हो रही है,, न उसी मामले में हम भी सोच रहे हैं कि एक बार हम भी अनशन कर ही दे,,,
अरे चचा ,, तुमको कौन सा राज्य चाहिए,,,,
मुझे कोई राज्य वाज्य नहीं चाहिए ,,,
तो चचा फिर ये अनशन क्यों...
अरे मेरी तो एक ही मांग है॥ सरकार एक काम करे,,, फिर से सारे राज्यों का गठन कर दे,, भाषा का चक्कर छोड़े और सम्पर्क,, सहजता,, भौगोलिक स्थिति का ध्यान करे... पूर्वांचल, उत्तराचंल, हिमाचल, तेलंगाना,, आंध्रा,, से लेकर केरल,, और राजस्थान से लेकर बंगाल तक,, कुल मिलाकर कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक औऱ जैसलमेर से लेकर इटानगर, गंगटोक तक सबको दुबारा से बना दो,, सबसे कह दो कि ,, भाई ,, अबकी बार सबको भारतीय मान कर राज्य बना रहे हैं,... किसी की भी अलग पहचान नहीं है,, ,, क्या बोलो,, क्या कहते हो॥ छे़ड़ दूं यह राज्य वार,,,
चचा की बात सुन हम चुप,।,,, सन्न,,,
हम कहे चचा तुम्हारी बात और मुद्दे में दम है,।,,, अनशन करो नहीं करो,, उसका फल क्या होगा,, यह तो मुझे पता नहीं,, तुम्हारी राज्य वार का अंजाम भी मैं नहीं जानता.. पर हां तुम्हारी बात जरूर जनता की ईसंसद में पहुंचा दूंगा,, शायद तुम्हें अनशन नहीं करना पड़े.....

तो सभी इन्टरनेट के पाठकों तक हमारे चचा हंगामीलाल का यह मुद्दा पहुंचा रहा हूं,,,,
सादर

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