Saturday, November 3, 2007

दीपावली और ...उपहार

दीपावली के आगमन के साथ ही ऐसे लोगों कि बाद सी आ गई है जो घर का पता जानना चाहते हैं। दरअसल वे शिष्टाचार भेंट करना चाहते हैं। और इसी भेंट के बहाने ही कुछ भेंट करना चाहते हैं, ताकि संबंध मधुर बने रहे। और उन्हें गाहे बगाहे उपकृत करते रहे। मेरे विचार मैं तो यह् एक प्रकार कि रिश्वत का ही आदान प्रदान है। आप क्या सोचते हैं?

3 comments:

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

आपने एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. यह संयोग ही है कि मैंने भी अपनी पत्रिका 'इन्द्रधनुष इंडिया' (www.indradhanushindia.org ) के नवम्बर अंक के सम्पादकीय में एक दूसरे कोण से इसी मुद्दे को उठाया है. शायद आपकी और मेरी टिपाणी मिल कर एक मुकम्मिल तस्वीर बनाए.

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

आपने एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. यह संयोग ही है कि मैंने भी अपनी पत्रिका 'इन्द्रधनुष इंडिया' (www.indradhanushindia.org ) के नवम्बर अंक के सम्पादकीय में एक दूसरे कोण से इसी मुद्दे को उठाया है. शायद आपकी और मेरी टिपाणी मिल कर एक मुकम्मिल तस्वीर बनाए.

Udan Tashtari said...

हमेशा तो यह सत्य नहीं होता. कभी कभी संबेंधों के चलते या कभी रिटर्न गिफ्ट के तौर पर भी तो यह आदान प्रदान होता है.