Tuesday, June 1, 2010

सुर सुर की बात

चचा हंगामी लाल आज बहुत दिनों बाद नजर आए तो हमने कहा चचा कहां चले गए थे, इतने दिन।
अरे कहीं नहीं, बस यूं जरा मन नासाज था इतने दिनों तक बड़े परेशान हो रहे थे।
क्यों चचा क्या बात हो गई थी.
बस यूं ही, पर आज जरा मन ठीक है, देश तरक्की कर रहा है न, इसलिए।
चचा की बात सुन हम जरा चौंके, देश तरक्की कर रहा है... आपको कैसे पता चला चचा और तुमको ये एकाएक देश की फिकर क्यों होने लगी।
अरे वाह भतीजे हमें फिकर नहीं होगी तो और किसे होगी। वो मनमोहन ने हमें तो ही सारा भार सौंप रखा है, इसी में जरा बिजी रहे थे। इतने दिनों। अब आज देखो खबर आ गई न की उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है देश,.।
चचा एक बात तो समझ में आ गई की तुम विकास दर के नतीजों की बात कर रहे हो,, पर ये मनमोहन वाली बात समझ में नहीं आई। जरा खोल कर समझाओ।
अच्छा तो सुनों,, पर किसी से कहना मत,, तुम तो जानते हो ये सुपर कॉन्फिडेन्शियल है,, देश का सवाल जो है,,,।
ठीक है चचा पर अब बता भी चुको...।
वो क्या है न कि पिछली 22 तारीख को जब मनमोहन सिंह की दूसरी पारी का एक साल पूरा हो गया न तब वो हम से मिला था। क्या हुआ न कि उस रात को जब हम सो गए तब हमारे ऊ 4जी टेक्नीकवाले फोन पर ऊ का फोन आया रहा। हमसे बोला चचा तुम तो पुराने पत्रकार हो,,आज सुबह हम खूब पत्रकारों से बतियाए पर मन नहीं भरा,, कुछ मन की कह सुन नहीं पाए। बहुत पता लगाया तब लगा कि चचा हंगामी लाल ऐसा पुराना पत्रकार है जिससे बात की जा सकती है,,सो हम तुमको फोन लगएं हैं,, तुम से कुछ मन की कहना चाहते हैं,,, ।
अब देस का प्रधानमंत्री कहे तो हम कौन जो ना कह दें,,, हमने कहो ,,, डॉक्टर साब,,,। बस इतना सुनते ही वो तो झूम गया,,, देखा यही न ,, यही अन्तर है पुराने औऱ समझदार पत्रकार में अब तुम समझदार हो तभी जानते हो हमारी डॉक्टरी का मतलब,, इसलिए न हमें डॉक्टर कहा,,, भई वाह,, दरअसल हंगामी जी,, अब मैं बहुत खुश हूं,, मैं अटल जी से भी ज्यादा प्रधानमंत्री रह कर नेहरु जी के वंश के अलावा इस देश सबसे लम्बे समय तक प्रधानमत्री रहने वाला आदमी हो रहा हूं,,,। बताओ औऱ क्या चाहिए,, जब से प्रधानमंत्री बना हूं लोग मेरे पीछे ही पड़ गए हैं राहुल को प्रधानमंत्री कब बना रहे ,, । अरे भाई वो बने जब बने...। मुझ से क्यों पूछते हो,, यह तो वही बात हुई न की घुमा फिरा कर पूछ लिया कि गद्दी से कब उतर रहे हो,,,, बताओ मैंने इस देश के लिए क्या नहीं किया। सबकुछ किया। लोग कहते थे कि कभी इस देश में दूध दही की नदियां बहती थी, मैंने तो नोटों की नदी बहा दी है,,, नरेगा नदी। नरेगा मैया बिल्कुल गंगा सी पवित्र है,,जो भी इसमें डुबकी लगाएगा उसकी सारी गरीबी ये हर लेगी...। अब पूछोगे यह तो केवल गांवों में बहने वाली नदी है,,। अरे शहरो में नदी बहाने की जगह नहीं है,,, वहां नालियां बहाई है,, अरबन रिन्युअल की,,, हर जगह नए नए तरीके की मोरी है,, जिसके जिधर जैसे चाहे मोड़ लो। अब देखो हंगामी लाल जी ,,, सारी दुनिया मंदी के चक्कर में पड़ी थी,... हम बचे या नहीं,, बोलो,, बचे की नहीं,, फिर भी जो है सो पीछ पड़े रहते हो,, हर समय सोनिया जी का डर दिखाते हो,, अरे माना उन्होंने पीएम बनाया है,,.. पर काम तो मैंने ही किया है,, वो तो केवल पब्लिक इन्ट्रेस्ट की बात करती है.. देश की बात तो मैं ही करता हूं।,,, चलो हंगामी जी अब एक बात करना मेरी सबसे बड़ी प्रोब्लम महंगाई है,, मैं चाह कर भी इसे कम नहीं कर पा रहा हूं,, । तुम ठहरे पुराने पत्रकार मुझे जरा महंगाई कम करने का कोई फामुर्ला बताओ,, कहीं से कोई रिसर्च करो,, कोई जप तप करो,, कोई गंडा ताबीज करवाओ,, कुछ करो,, प्लीज,, ।
उनकी इतनी बात सुन कर मैंने कहा,, मनमोहन जी ,, इसको कोई काबू में नहीं कर पाया,, अब आप कहते हो तो मैं कुछ ढूंढता हू,,,। आप मुझे दुबारा फोन करना।..
तब से मैं लगातार कई बाबाओं,, तांत्रिकों ,, पुराने लोगों,, से मिल कर महंगाई को काबू में करने का तोड़ ढूंढ़ रहा हूं,,। पर अब तक तो कुछ मिला नहीं,, भतीजे आज सोचा तुमसे कुछ पूछ लूं तो चला आया तुम्हारे पास,,तुम्हें यदि पता तो तुम ही बताओ,,..।
देखो चचा इसका तो एक ही इलाज है,, जो अभी तुम ही कह रहे थे,,
वो क्या...
महंगाई के अलावा हर बात का ढोल बजाओ,, बस महंगाई की बात पर चुप्पी साध जाओ,,
अभी बढ़ी हुई विकास दर का राग अलवाओ,, महंगाई का सुर अपने आप नीचा हो जाएगा,, ।
लगता है हमारी बात चचा को एकदम से जंच गई और वे तुरन्त अपना चमकता चेहरा ले आगे बढ़ गए। शायद मनमोहन को फोन घुमाने,,,।