Tuesday, May 19, 2009

जय हो, भारत भाग्य विधाता जय हो...

चचा हंगामी लाल बहुत दिनों तक शहर से बाहर रह कर रात ही लौटे थे। हमें उनके आने की सूचना मिल गई थी सो सोचा रहे थे कि चाय वाय पीने के बाद जरा चचा से उनके हाल पूछ आएंगे। पर ये क्या चचा तो सुबह होने के साथ ही हमारे कमरे में हाजिर थे। आते ही बोले भाई दिल खुश हो गया, हमने कहा, क्यों चचा ऐसी क्या बात हो गई। अरे बात कैसे नहीं हुई। देखा नहीं लोगों ने कितना सोच समझ कर काम किया है, साले सब खोमचे वालों की छुट्टी कर दी। ऐसी सरकार बनाई है कि बस पूछो मत। क्या जम कर जिताया है। ऐसी ऐसी जगह जिताया है जहां जीत की कोई उम्मीद ही नहीं थी। हम अवाक्। चचा तो मजबूत नेता निर्णायक सरकार का नारा बुलन्द किए हुए थे। अचानक उन्हें क्या हो गया। हमारे मुंह से निकला अरे चचा तो फिर वो मजबूत नेता और निर्णायक सरकार का क्या हुआ। अरे वही तो हुआ है लल्ला। जनता ने दिखा दिया की जो वाम दलों के दबाव में नहीं घबराया, अमरीका से सौदा करके ही रहा ,,वो क्या कहते हैं,, न्यूक्लियर डील, वो ही तो मजबूत नेता हुआ और उसी की सरकार को निर्णायक साबित कर दिया। इसे ही कहते हैं जनता जनार्दन बता दिया कि कौन है मजबूत नेता। चचा पर वो जीतने वाले लोग तो कहते हैं इसमें राहुल बाबा का हाथ है। हां वो तो है ही राहुल बाबा का ही हाथ है, वो राहुल बाबा ने ही तो इतने जवान साथियों को उतार कर जय जवान का नारा बुलन्द किया है, कितनी रैलियां की, कहते हैं ज्यादातर में जीत हासिल की। लेकिन लल्ला तुम्हें एक बात बताऊं, जरा राज की बात है,., ये नए लोग जीते इसलिए नहीं की उन पर राहुल का हाथ था, बल्कि इसलिए जीते क्योंकि जनता को अब इनसे ही उम्मीदें हैं, इन नए लोगो का दामन थोडा उजला है, सो जनता ने कहा भाई पुरानों को देख लिया बहुत सह लिया,, तुम नए हो शायद कोई कमाल दिखा जाओ ,, जाओ और कुछ करो ताकि हमें भी जीने का मौका मिले। मंदी और महंगाई की चक्की के पाटों में पीस रहे नौकरी पेशा आदमी को कुछ राहत मिल सके। अभी तो मामला दुधारी तलवार है,, महंगाई बढ़ रही है और तनख्वाह वहीं अटकी है। ...। लल्ला कुल मिलाकर यह नाउम्मीदी के बीच उम्मीद की जीत है...। चचा की बात हमारी भी समझ में आ रही थी। फिर भी चचा कुछ और बोले इसलिए कुरेद बैठे,, तो चचा अब वो सर्वहारा, सर्वजन औऱ सम्यक समाज का क्या होगा..। जोर के ठहाके के साथ चचा बोले होगा क्या,, कल से ही देख नहीं रहे की रायसीना की पहाड़ी के नीचे खोमचे सज गए हैं... और आवाज आ रही है,.समर्थन ले लो ,,समर्थन लेलो,, पैसे नहीं चाहिए ,, कुछ भी नहीं चाहिए, बस ले जाओ,, हमारे पास यूं ही पड़ा है.. ले जाओ,, । लेकिन इस बार वाकई जय हो जनता की जो ऐसा तगड़ा काम किया। ..... जय हो.,.,. चचा की बात से मुतमईन हम भी जोर से स्वर दे बैठे,, जय हो...जय हो.. भारत भाग्य विधाता.. जय हो।

2 comments:

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

भई वाह! मज़ा आ गया. हंगामी लाल जी से आपकी चकल्लस पढकर भी और चुनाव परिणाम देख-सुनकर भी.

मांगे बगैर एक सुझाव दूं? ज़रा हंगामी लाल जी को पी एम इन वेटिंग और उनके स्वयमसेवकों के बारे में भी तो कुरेदिये. उनसे यह भी पूछें कि अब राम भक्तों को राम लला के भव्य मंदिर के लिए कितना इंतज़ार करना पड़ेगा? यह भी कि सेक्युलर तो ध्वस्त हो गए, अब वे किन के खिलाफ लाठियां भांजेंगे? और यह भी कि बहुत कमज़ोर पी एम ने लौह पुरुष को ध्वस्त कैसे किया? मुझे चाचा हंगामी लाल की टिप्पणियां इन सब के बारे में पढने की व्याकुलता है.

abhishek said...

इतनी उम्दा टिप्पणी और उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद...
आपको तो पता ही है कि हंगामी लाल कई दिनों से बाहर थे,. सो शाखा-वाखा भी नहीं जा सके,.,अब जाएंगे तो लौटने पर पूछते हैं,,आपके सारे सवाल यूं के यूं रख दूंगा..,